महर्षि दयानंद सरस्वती की 198वी जयंती
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” वेदों की ओर लौटो” का नारा देते हुवे वेदों को पुनर्स्थापित कर उसी अनुसार देश और राज्य की व्यवस्था करने का कार्य किया था महर्षि दयानंद सरस्वती ने”ये शब्द अपने उद्बोधन में श्री केसरमल चौधरी, एसोसीयेट प्रोफेसर, डुंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 198वी जयंती के अवसर पर
आर्य समाज, महर्षी दयानंद मार्ग, बीकानेर की गंगाशहर स्थित शाखा sbi बैंक के पीछे, बीकानेर में दिनाँक 26फरवरी, 22 (फाल्गुन कृष्ण पक्ष दशमी) शनिवार को कहे ।
वैदिक प्रवक्ता श्री रामवीर जी(भरतपुर) ने कहा कि नारी को वेदों के पढ़ने का अधिकार का देने के साथ उनके पुनरद्धार के लिये पढ़ने के लिये विद्यालय, गुरुकल खोलने के तथा बाल विवाह पर रोक व विधवा विवाह का अधिकार दिलवाया महर्षि दयानंद सरस्वती ने ।
डॉ सतीश जी कच्छावा, पूर्व पीएमओ,बीकानेर ने कहा कि सारे भारत को एकसूत्र में बांधने के महर्षि ने स्वयं गुजराती व संस्कतज्ञ होते हुवे भी हिंदी को ही एकमात्र भाषा बताते हुवे इसका व्यापक प्रचार किया । इन्ही के स्वराज्य ही सर्वोपरि है को ही बाल गंगाधर तिलक ने आगे बढ़ाते हुवे इसे मूल अधिकार का नारा दिया।
डॉ संजयजी गर्ग ने भजन के माध्यम महृषि के कृतित्व पर प्रकाश डाला । सुश्री सूबोध बाला ने स्वामीजी के बहुमुखी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुवे कहा कई शताब्दियाँ में इन जैसा कोई नही हुवा।
प्रधान महेश आर्य ने कहा कि स्वामीजी ने “सत्यार्थप्रकाश” रूपी अनुपम ग्रंथ में सभी धर्मों को सार दिया है ।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्रीमती रूपादेवीजी तथा कचंनदेवीजी के यज्ञमानत्व तथा श्रीरामवीर जी के ब्रह्मत्व में हुवा जिसमे श्रद्धालुओं ने आहुतियां दी। कार्यक्रम का संचालन मंत्री भगवती प्रसाद ने किया तथा दिनाँक एक मार्च को शिवरात्रि बोधोत्सव मनाया जावेगा ।
शांतिपाठ के पश्चात वैदिक उद्घोष के साथ कार्यक्रम के समापन के बाद यज्ञ शेष का वितरण हुवा ।
